Search This Blog

Tuesday, September 7, 2010

यैसे हराम के खाने वाले गरीबो को निशाना बनाते हैं ,

आइये यु पि के सैर कराते हैं ,
उस घर में ले चलते हैं ,
जहा घर ने गवाए मालिक हैं ,
भला हो मीडिया की बात सामने आती हैं ,
आज आजतक पे जो देखा आख से आसू आती हैं ,
छोटेलाल ने आरजी किया था ,
घर में बिजली पाने की ,
घर में बिजली नहीं आया ,
नजर लगी बिजली वालो की ,
आया बिल सवा लाख का ,
बेचारा का सर चक्र गया ,
गया बिचली ऑफिस में ,
कुर्की जप्ती का फरमान पा गया ,
बहुत कोशिश की नहीं था कोई वह पे सुनने वाला ,
क्यों सुने देना हैं मंत्री को लाखो का माला ,
बोला ओ जान दे देंगे
नही सुने करना था बड़ा घोटाला ,
घोटाला हुआ हैं बहुत बड़ी हो इसपे करवाई ,
मर गया छोटे लाल अब पूरा करो भरपाई ,
भाइयो आज छोटे लाल कल कोई और हो ,
उससे पहले इन आतताइओ को भस्म करो ,
नेता और उधोगपति मिल रसगुले खाते हैं ,
यैसे हराम के खाने वाले गरीबो को निशाना बनाते हैं ,

Saturday, August 28, 2010

मन में आनंद भयो माँ की बर्णन में ,

मन में आनंद भयो माँ की बर्णन में ,
अंग अंग खिल गयो माँ की दर्शन में ,
तुने बुलाया माँ द्वार तेरे आया - द्वार तेरे आया माँ द्वार तेरे आया,
मन को सकून मिला तेरे चरनन में ,
अंग अंग खिल गयो माँ की दर्शन में ,

तुही हैं अम्बा माँ तुही जगदम्मा ,
भक्तो की रक्छा करनेवाली अम्बा ,
भक्तो पे अपने माँ करना तू दया - करना तू दया माँ करना तू दया ,
माँ अब भर दे तू भक्ति मेरे मन में ,
अंग अंग खिल गयो माँ की दर्शन में ,

तेरे तो चाहने वाला माँ जगदम्मा ,
हो नहीं सकता ओ कभी निकमा ,
मन में माँ तू यैसी ज्ञान भर दे - यैसी ज्ञान भर दे माँ यैसी ज्ञान भर दे ,
की गुरु बिताये दिन तेरे चरनन में ,
अंग अंग खिल गयो माँ की दर्शन में ,

हाय रे मदिरा हाय रे - हाय रे मधुशाला ,

हाय रे मदिरा हाय रे - हाय रे मधुशाला ,
तेरे चाह में पड़ कर हमने ये क्या कर डाला ,
घर में बच्चे भूखे सो गए चल रहा हैं प्याला ,
हाय रे मदिरा हाय रे - हाय रे मधुशाला ,

रोज कमाए रोज उड़ाये खाली हाथ घर को जाये ,
बीबी जब कुछ पूछे तो भईया जोर का चाटा खाये ,
सिलसिला यह चल रहा हैं नहीं अब रुकने वाला ,
हाय रे मदिरा हाय रे - हाय रे मधुशाला ,

दोस्तों की दोस्ती से यारो है यह शुरू होती ,
शौक से आगे बढती फिर आदत का रुप यह लेती ,
क्या बतलाऊ इसने तो जीना मुस्किल कर डाला ,
हाय रे मदिरा हाय रे - हाय रे मधुशाला ,

सोच था इक सपना था आगे तक जाने की ,
जाने कैसे बहक गया मैं नजर लगी ज़माने की ,
सोचा था क्या मैंने और ये क्या कर डाला ,
हाय रे मदिरा हाय रे - हाय रे मधुशाला ,

रोज रोज ये राहों में नया दोस्त बनता हैं ,
पड़ा देख कर गट्टर में कोई घर ले आता हैं ,
मोहल्ले में इज्जत को ये चवनी का कर डाला ,
हाय रे मदिरा हाय रे - हाय रे मधुशाला ,

पाकेट में है कुछ नहीं बड़ी बड़ी बोल आती हैं ,
दो चार घुट जब ये अन्दर में चली जाती हैं ,
बड़े बड़े को ये तो कंगाल ही कर डाला ,
हाय रे मदिरा हाय रे - हाय रे मधुशाला ,

घर से निकला ऑफिस भाई मैं शान से ,
ऑफिस से जब घर चला बहक गया इमान से ,
दोस्तों की झुण्ड मिली और कचरा कर डाला ,
हाय रे मदिरा हाय रे - हाय रे मधुशाला ,

एक ख़ुशी ये देता हैं भेद भाव मिटाकर ,
जाती धर्म कोई हो भईया रखता हैं मिलकर ,
कितना अच्छा काम किया ये बुरा करनेवाला ,
हाय रे मदिरा हाय रे - हाय रे मधुशाला ,

Wednesday, August 25, 2010

राखी आई चली गई !!

राखी आकर चली गई ,
कही मस्ती छाई ,
चली खूब मिठाई ,
बहना ने भाई की ,
कलाई पे बांधी !!

कहीं ये ख़ुशी दे गई ,
और कही गम का गुबार
देकर चली गई !!

अब एक दो रूपये में ,
राखी मिलती नहीं ,
दुखहरण के बेटी बुधिया के पास ,
चावल खरीदने के बाद,
पांच रुपये का सिक्का बचा ,
दाल की जगह ,
खरीद ली राखी ,
मिठाई के नाम पर ,
लिया बताशा
बाह रे दुनिया वाले ,
कैसा अजब तमाशा ,
तेरी कुदरत
कहीं हंसा गई
कहीं रुला गई ,
राखी आई चली गई !!

कौन कहता है हमारा हिंदुस्तान गरीब हैं ,

कौन कहता है हमारा हिंदुस्तान गरीब हैं,
नहीं विश्वास तो मल्टीप्लेक्स पर देखिये,
भीड़ लगी रहती टिकट सौ के करीब हैं ,
कौन कहता है हमारा हिंदुस्तान गरीब हैं ,

ट्रेनों में अक्सर आरक्षण फुल रहता हैं ,
अग्रिम पश्चात स्कार्पियो महीनो बाद मिलता हैं ,
हर किसी के पास पैसा बनाने की तरकीब हैं ,
कौन कहता है हमारा हिंदुस्तान गरीब हैं ,

शराब की दुकानें लोगो से भरी रहती हैं ,
हवाई जहाज में भी सीट नहीं मिलती हैं ,
पेपर पर राष्ट्र हमारा उन्नति के करीब हैं ,
कौन कहता है हमारा हिंदुस्तान गरीब हैं ,

रक्तबीज

चंडी रूप धारण किए
आँखों में दहकते शोले लिए
मुख से ज्वालामुखी का लावा उगलती
बीच सड़क में
ना जाने वह किसे और क्यों
लगातार कोसे जा रही थी
सड़क पर आने जाने वाले सभी
उस अग्निकुंड की तपिश से
दामन बचा बचा कर निकल रहे थे
ना जाने क्यों सहसा ही .....
मुझ में साहस का संचार हुआ
मैंने पूछ ही लिया
बहना....,
क्या माजरा है ?
क्यों बीच सड़क में धधक रही हो ?
उसकी ज्वाला भरी आँखों से
गंगा यमुना की धार बह निकली
रुंधे गले से उसका दर्द फूट पड़ा ...
भय्या !!!
एक कलमुंहे की पोल खोल रही हूँ ,
क्या किया उसने ? मेरा सवाल था ..
बोली... अभी सुनाती हूँ
पूरी दास्तान ,
मेरा बेकार पति
हर वक़्त मेरा खून और दारू पीता था ,
हफ्ते में इसकी दो चार रातें
गुज़रती थी थाने में
मैं थाने जाती थी - इसको छुड़ाती थी,
पैसा तो था नहीं ..
बस ....दरोगा की हो जाती थी ,
सिलसिला चलता रहा ये कल तक ,
आज फिर मेरा बेकार पति थाने में बंद है
लेकिन वो दरोगा.......
आज मेरी जगह
मेरी बेटी को मांग रहा है वो कमबख्त,
आज
या तो मैं खुद को मिटा दूंगी
या इसके रक्त से खप्पर भरूँगी,
भले कुछ हो जाए,
इस रक्तबीज को जिंदा नहीं छोडूंगी

Monday, August 2, 2010

भाई कोई मुझे बताये गुरु पागल को समझाए ,

भाई कोई मुझे बताये गुरु पागल को समझाए ,
सोहराबुदीन कौन था जिसको दिए सब मिटाए ,
कोई कहता था आतंकबादी था वो बड़ा हठीला ,
किया क्यों उसके कारण मुश्किल किसी का जीना ,
मर गया तो मिट गई बाते क्यों उल्टी हवा बहाए ,
भाई कोई मुझे बताये गुरु पागल को समझाए ,
जो ऐसा काम किया क्यों उसे सूली पे चढाते हो ,
अफजल गुरु को जो बचाए उसको सलाम बजाते हो ,
जागो हिंद के जागो भाई करो उसको सलाम ,
जो इस तरफ के कालिख पोतो के काम करे तमाम ,
सिद्ध हुआ था आतंकबादी मारे तो तगमा क्यों न पहनाएं ,
भाई कोई मुझे बताये गुरु पागल को समझाए ,
इस तरह जो जाँच होगी तो हिंद का क्या होगा भाई ,
मारेंगे सब बुद्धिजीवी और मस्ती करेगा कसाई ,
देखो क्या हाल हुआ कसाब हमारा मेहमान हुआ ,
जिसका उसने लहू बहा वही उसका मेज़बान हुआ
उलटी गिनती शुरू होगी दिल्ली वालो को समझ न आए ,
भाई कोई मुझे बताये गुरु पागल को समझाए ,

Saturday, July 24, 2010

बाली उमिरिया पतली कमरिया चलेलु तू इठालाइ के ,

बाली उमिरिया पतली कमरिया चलेलु तू इठालाइ के ,
आग लगइबु का हो गोरिया बीच बजरिया आई के ,

चाल बा तोहर नागिन जइसन अचरा जब सरकावेलू ,
देख के मुखड़ा मन इ बोले अंगिया काहे न लगावे लू ,
तोहरो सुरतिया मनवा मोहे काहे जालू ललचाई के ,
बाली उमिरिया पतली कमरिया चलेलु तू इठालाइ के ,

जवन तू कह्बू उहे करब हमरा के अपनाs लs हो ,
तहरे खातिर जियत बानी मन के आसरा पूरा द हो ,
मन में तूही बsसल बारू रखs अंगिया से हमके लगाइ के ,
बाली उमिरिया पतली कमरिया चलेलु तू इठालाइ के ,

तन मिली त मनवा खिली जियरा भरी उड़ान हो ,
तहरे अईला से हो गोरिया आवे ला ईहा बहार हो ,
मुश्कि तोहार बा मनमोहन खुश बानी तोहे पाई के ,
बाली उमिरिया पतली कमरिया चलेलु तू इठालाइ के ,

Thursday, June 24, 2010

आपन दुःख केकरा से कही ,

आपन दुःख केकरा से कही ,
इहा के बाटे सुने वाला ,
हर तरफ अन्धिआर भइल बा ,
धधकत बा दहेज के ज्वाला ,

बेटी के बाप त हमहू बानी ,
बड़ी मुश्किल से पढ़वले बानी ,
हम खइनी आधापेट हरदम ,
बेटी के करौनी हमहू बी कॉम ,

लईका बढ़िया खोजत बानी ,
दहेज़ के बिना बाटे परेशानी ,
अब सोचत बानी काहे पढ़वनी,
जन्मते काहे ना नमक चटवनी,

मर गइल रहित इहो तबही ,
इ परेशानी ना आइत अबही ,
एय लईका वाला तनी बुझs ,
हमहू पढ़वनी तनिका समझs ,

जवन कमाई तुहू पईबs ,
हमरा घरे नाही पेठइबs ,
आउर एक बात बाबू तू जान ,
लईकी लईका में अंतर ना रख ,

लईकी बिन तोहर लईका कुवारा ,
ना मिली दुल्हिन बनी आवारा ,
तब तुहू खूब पछतइबs ,
तब तुहू गुरु के संगे ना पईबs ,

तब तुहू कहबs भाई हमार हो ,
आपन दुःख केकरा से कही ,
इहा के बाटे सुने वाला ||

अपना दुःख किससे कहू मैं ,

अपना दुःख किससे कहू मैं ,
यहा कौन हैं सुनने वाला ,
हर तरफ फैला अन्धियारा ,
धधक रही दहेज की ज्वाला ,

बेटी के बाप तो हमभी हैं ,
बड़ी मुश्किल से पढ़ा पाए ,
हम खाय आधपेट मगर ,
बेटी को हम बी कॉम कराए ,

लड़का बढ़िया खोज रहा हु ,
दहेज़ के बिना हैं परेशानी ,
अब सोचता हु क्यों पढ़ाया ,
जन्मते क्यों नहीं नमक खिलाया ,

मर गई होती ये तब ,
परेशानी ये ना आती अब ,
ये लड़का वालो जरा समझो ,
हम भी पढाये ये तो समझो ,

जो ये कमाएगी तुम पावोगे ,
मेरे घर क्या ? भेजोगे ,
और एक बात बाबू जानो ,
लड़का लड़की में अंतर ना मानो ,

लडकी बिन हर लड़का कुवारा ,
ना मिले दुल्हिन बने आवारा ,
तब आप खूब पछताओगे ,
तब गुरु को साथ ना पावोगे ,

तब आप यही कहते फिरोगे ,
अपना दुःख किससे कहू मैं ,
यहा कौन हैं सुनने वाला ,

Saturday, June 19, 2010

गुरु को फासी कब चढाओगे ,

ओ दिल्ली वालो ,
हमें इतना बताओ ,
हिन्दुस्ता पे जो खाज परे हैं ,
उसको कब मिटाओगे ,
अफजल गुरु को ,
फासी कब चढाओगे ,
हिन्दुस्ता पे बहुत ऐसे खाज हैं ,
उसको मिटाना जरुरी आज हैं ,
मेहमान बनाके कब तक ,
पैसा लुटाओगे ,
अफजल गुरु को ,
फासी कब चढाओगे ,
मेरी नहीं ये ,
देश की मांग हैं ,
आपको तो भोट दीखता ,
हमें हिंदुस्तान हैं ,
हिंद में ख़ुशी का ,
दिन कब लावोगे ,
अफजल गुरु को ,
फासी कब चढाओगे ,
हिन्दू , मुस्लिम ,
सिख . इसाई ,
हिन्दुस्ता के पहचान हैं भाई ,
किशी से पूछो ,
बस यही पाओगे ,
अफजल गुरु को ,
फासी कब चढाओगे ,

पेंडुलम .

पेंडुलम .
पेंडुलम यही समझ रहे हो ना मुझे ,
यही भूल अगली सरकार की थी ,
और तुम्हे मिल गया ये मलाई ,
जिसे बारे प्यार से आपस में ,
बाटकर मस्ती से खा रहे हो ,
हमें चाहिए एक होनहार कर्मनिस्ट,
जो समझे हमें जाने हमें ,
और तुम हो की जानना ही नहीं चाहते ,
लोकतंत्र में युवराज दिखा रहे हो ,
यही ना हमें पेंडुलम समझ कर ,
उल्लू बना रहे हो ,
जिस जनता को तूम उल्लू समझ रहे हो ,
ओ सब जानती हैं ,
कोई पानी तक नहीं मांगता ,
जब ओ मरती हैं ,
अभी कोल्कता को ही देखो ,
क्या हस्र हुआ ,
चेत जाव जिसका खाते हो उसका सुनो ,
नहीं तो तुम ,
पेंडुलम की तरह झूलने लगोगे ,

ना मैं तुलसी हू....

मैं ना तो कोई तुलसीदास
जो दोहावली सजाऊँ,
ना ही मैं कबीर कोई
कि भजनमाल बुन पाऊँ !

सूरदास की भक्ति कहाँ
जो गीत श्याम के गाऊँ,
ओज सुभद्रा सा भी नहीं,
ना टैगोर का सुर बना पाऊँ !

फिर भी दिल में ये चाहत है,
में दिल की बात सुनाऊँ,
और प्यार दोस्तों का कहता है,
में भी कलम उठाऊँ !

मुझमे ऐसा कुछ भी नहीं,
कि में कुछ भी बन जाऊं,
प्यार आपका होगी वजह,
जो कुछ सार्थक कह पाऊँ !

मित्रों की प्रेरणा शक्ति मेरी,
अब कैसे ये समझाऊँ,
थाम के उँगली उन सब की,
शायद मंजिल पा जाऊं !

नहीं दिल में ऐसा शौक़ है,
कि गुरु जी मैं बन जाऊं,
अदना सा रहूँ मैं सदा बना,
बस रवि कुमार कहलाऊँ !

पिचकू पाड़े,

डॉक्टर के पास पहुचे प्यारे प्यारे पिचकू पाड़े ,
बोले डाक्टर साहब क्या काम है पिचकू भाई ,
संग में जो आये बोले, परेशान हैं पिचकू पाड़े ,
बावन जोड़ा पूड़ी रात में ये खाये थे ,
संग में दही तीन किलो उड़ाये थे ,
घर का खाना ये कभी न खाते हैं ,
एक दिन खाकर तीन दिन तक पचाते हैं
सुबह से परेशान हैं, होती हैं खूब दौड़ाई ,
रुक जाये भागम-भाग,जल्दी दे दो कुछ दवाई ,
डाक्टर बोला थोड़ा कम तो खाओ यार ,
उम्र बढ़ी हैं कुछ तो अपना रखो ख्याल ,
डॉक्टर को भी बडे प्यार से समझाए पिचकू पाड़े ,
शादी की मौसम हरदम आती नहीं है डाक्टर प्यारे ,
दवा देना है तो दे दो, नहीं तो हम उपरवाले के सहारे ,
खाना छोड़ूगा नहीं जो फ्री में मिल जाये प्यारे ,
पाच मन का मैं अदना सा प्राणी,
कहते सभी मुझे पिचकू पाड़े,

Friday, June 18, 2010

बाबु जी कहानी,

बाबु जी कहानी,
बेटा पीहीअ ता बढ़िया पिहिअ ,
ना ता मत पीहीअ ,
कहे की पिआला में सिकायत नइखे ,
बरका बरका लोग पिअले बा ,
हम रोज पिहिले ,
अब रौओ लोग हमर बात मानी ,
बढ़िया वाला पीही लोगिन ,
राऊआ पीएम लोगिन ता ,
हो सके हमारा बाबु जी के ,
आत्मा के सन्ति मिले ,
कहे की उहा के कहत रहनी हा ,
कृष्णो जी खूब पिआत रहले हा ,
हमार बात मानी ,
पिआला से नुकसान ना होला ,
बाकिर सोच समझ के ,
बढ़ियावाला पीही ,
बढ़िया मतलब समझत बानी नु ?
की बतावे के पड़ी ,
ता ली जन ली ,
हमार बाबु जी कहत रहनी हा ,
बबुआ दूध मलाई घी दही से बढ़िया ,
कुछ ना होला से इहे पीहीअ ,
हमू इहे पिहिले ,
रौओ लोग इहे पिआब ,

एगो कुकुर के देखनि अईसन लगाल ,

एगो कुकुर के देखनि अईसन लगाल ,
कास हमहू रहती कुकुर जनमल ,
ऐरा गैरा ना उ ता बारे बेकार ,
अलसेसियन बुलडॉग के मिले ला प्यार ,
रोड वालालान के मिलेला दुत्कार ,
सुते के मिलित हमके मलमल ,
कास हमहू रहती कुकुर जनमल ,
चले के साईकिल नइखे टूटल ,
ओढे के टाट नइखे फाटल ,
खाए के नइखे मिळत नून आउर रोटी ,
नहाये में सालो से ना साबुन मिलल ,
कास हमहू रहती कुकुर जनमल ,
चले के मिलित मोटर कार,
नहाये खातिर दूध टाब में मिळत ,
ऊपर से लागी लक्स खस बार बार ,
खाइती हम मांस के टुकरा ,
भगवान अबहु से करा तू सरम ,
कास हमहू रहती कुकुर जनमल ,

हमारा से निक बाटे सेठ जी के कुकुर ,

हमारा से निक बाटे सेठ जी के कुकुर ,
गरिया में जाला देख टुकुर टुकुर ,
पैदल घुमाई ले हमू नहालाई ले ,
ओकरा खातिर आवे ला जावन बिस्कुट ,
चुपके से हमू आपना घरे ले जाई ले ,
लाईका हमार खाले सन भुकुर भुकुर ,
हमारा से निक बाटे सेठ जी के कुकुर ,
बचे ला साबुन फेकी ना हमहू ,
ओकर देह दबावल भूली ना कबहू ,
भूलो से कबो उ जे चिलाला,
हमारा ऊपर आफत आ जाला ,
सेठानी हमके देली खुबे गारी हजूर ,
हमारा से निक बाटे सेठ जी के कुकुर ,
हामी ओकरा खातिर किनेनी खाना ,
ओकरे चलते हमारो खुशाल जमाना ,
पाईले हमहू पंद्रह सौ जे महिना ,
चालित कैसे घर पूरा महिना ,
पाच हजार ले उनके खाना से बचाई ले ,
ओही पाईसवा से लेकन के पढाई ले ,
जिआत रहा तू बनके सेठ जी के नूर ,
हमारा से निक बाटे सेठ जी के कुकुर ,

एक दिन एगो चौराहा पर गाँधी जी से भेट हो गइल ,

एक दिन एगो चौराहा पर गाँधी जी से भेट हो गइल ,
उनकर हालत देख के हमारा बारा अचरज भइल ,
उनकर धोती फाटल रहे,
ठेहुना पर चोट लागल रहे ,
हम पूछनी बापू इ कैसे हो गइल ,
उनकरा आख से आसू आ गइल ,
रोआत रोआत उ हमसे ,
हाथ जोर के कहले ,
बाबुआ जगह जगह से ,
हमार मूर्ति हटवा द पाहिले ,
हम कहानी काहे ,
इ ता रौआ इयाद में लागल बा ,
ता उ कहले ,
चिरैया बीट करत बारीसन ,
ता काहे ना लोग झारत बा ,
उनकर बात सुन के हमार मन खामोश हो गइल ,
फिर सोचनी की कुछ कही बाकिर आख खुल गइल .
हमारा बुझाईल उ सब बिटवा झारे में चोट आ गइल
एक दिन एगो चौराहा पर गाँधी जी से भेट हो गइल ,

नीच कमीना कुत्ता .......... ,

नीच कमीना कुत्ता .......... ,
का का ना गाली बकत रहे ,
लोग के भीर तमासबिन् बन के देखत रहे ,
कुछ लोग ओकरा के कोसत रहे ,
ता कुछ लोग ओकरा पर हसत रहे ,
आउर उ अपने धुन में ,
नीच कमीना कुत्ता .......... ,
का का ना गाली बकत रहे ,
हम पूछनी का भइल ,
येताना काहे गुस्सा बारु ,
समाजो के सोचाs ,
लोग का कही ,
बिना मतलब के चीखत बारु ,
उ हमके गुर्रा के देखलस ,
मुस्कुरा के कहलस ,
हम हाथ जोरात बानी रौआ जाई ,
हमारा लागल हमारा सामने उ झिझ्कत रहे ,
नीच कमीना कुत्ता .......... ,
का का ना गाली बकत रहे ,
एगो पुलिस वाला ओके समझावत रहे .
हम ओकरे से पूछनी का भइल बा भाई ,
ना कुछ दरोगा जी इहा इ करे ले सफाई ,
आज सुबेरे उहा के पि के ,
कर देनी हा हाथ के सफाई ,
तबे से इ गरमाइल बिया ,
अब हमारा इ समझ में आइल ,
की येही से इ ,
नीच कमीना कुत्ता .......... ,
का का ना गाली बकत रहे ,

आफत आवे ला इहा से रौआ जान ली ,

आफत आवे ला इहा से रौआ जान ली ,
हम कहत बानी सच हा इ मान ली ,
नेता के संगे घुमेम ता लोग चमचा मानी ,
पुलिस के संगे घुमेम ता बोली लोग दलाल ,
इंसानियत के राह पर चालबा ता भाई ,
तहरा के जादा लोग आपन दुसमन मानी
आफत आवे ला इहा से रौआ जान ली ,
हम कहत बानी सच हा इ मान ली ,
जबान बदल गइल बा खुद के बदल द ,
चोर के संगे रहबा ता लोग चोर कही ,
हिंदुस्तान के खून में दौरत बा करपसन ,
अब इ बन गइल बा ला इलाज केंसर ,
अब केहू दरोगा बने खातिर लाखो दी ,
ता उ थोरे थोरे का के घुस काहे ना ली ,
बाकिर इ कौ दिन चली पाप के घरा भरी ,
हिंद में एक दिन राम राज आई मान ली ,
आफत आवे ला इहा से रौआ जान ली ,
हम कहत बानी सच हा इ मान ली ,

मांगत बानी हक भीख ना ,

मांगत बानी हक भीख ना ,
इंतजार काइनि साल 60 ,
अब रुकब दिन 30 ना ,
अब ता भोजपुरी के सुनी ,
बिना मतलब के कपार मत धुनी .
बारा सहनशील होले भोजपुरिया ,
बाकिर बात सुनी बाराइ खीस ना ,
मांगत बानी हक भीख ना ,
इ का ठीक बा जवान बच्चा ना रोई ,
ओकरा के ना पूछाइ ,
बरका देखत रही ,
छोटका के खूब खिलावल जाई,
जेतना भोजपुरिया के छेत्र बा
ओमे 30 गो पंजाब 35 गो हरियाणा,
दर्द के भरी उठे दी टिश ना ,
मांगत बानी हक भीख ना ,
ख़ुशी बा मैथली के हक़ मिलल ,
येमे होई मैथली 100 गो ,
बंगला भासा के देखि ,
इहो हो जाई 9 गो ,
कवना कवना के नाम जोराइ ,
का केहू लागे बाटे ,
हिंदी छोर हिंद के भासा ,
और कौन लोग बोलत बाटे ,
अब ना मिली ता होई निक ना .
मांगत बानी हक भीख ना ,

हम तहरा पागल लागत बानी,

हम तहरा पागल लागत बानी,
ना हम पागल ना हाई ,
बाकिर हो जयेम ,
येकर कारन तू होखाबा तू ,
हा तहरा से कहत बानी ,
दिल्ली तहरा से ,
लोक सभा में येताना लोग बा ,
ओमे लगभग हमार लोग ,
१५० से २०० लोग बा ,
तबो हमार इज्जत नइखे ,
जब केहू के इज्जत ना मिली ,
ता उ पागल हो जाई ,
आउर इहे कारन बा ,
की हम पागल हो गइल बानी ,
हमार नाम ,
अब इहो बतावे के परी,
तिरसठ साल हो गइल ,
आजादी के ,
बाकिर अबहियो ,
हमार पहचान नइखे बनत ,
ठीक बा नाम बता देत बानी ,
हमार नाम हा ,
भोजपुरी ,
अब रउआ मजबूर होखेम ,
काहे की हम पागल हो गइल बानी ,

दीप जली ज्योति होई ,

दीप जली ज्योति होई ,
सब कोई हसी केहू ना रोई ,
इ कब होई .
जब हिंदुस्तान में ,
हिंदुस्तान के ,
सोचे वाला
नेता पैदा होई ,
त दीप जली ज्योति होई ,
सब कोई हसी केहू ना रोई ,
अइसन तबो हो सके ला ,
राज अइसन नेता ,
मुह्कर्खी लगा जास ,
नेता जी अइसन बेटा ,
फिर से आ जास ,
कौनो आजाद ,
भगत अइसन रंगदार ,
हिंदुस्तान में होई ,
त दीप जली ज्योति होई ,
सब कोई हसी केहू ना रोई ,
देश के बाटे वाला ,
छोट छोट राजनीती पार्टी ,
अपन छेत्रिये राजनीत के भुला के ,
हिंदुस्तान के इज्जत आपन समझ के ,
हिंद के बिचार अपना ली ,
त दीप जली ज्योति होई ,
सब कोई हसी केहू ना रोई ,

मीरा जी रउरा पीरा के अंत हो जाई,

मीरा जी रउरा पीरा के अंत हो जाई,
जाहीआ भोजपुरी आठवा सूचि में आई ,
राउर बाबु जी जगजीवन बाबु ,
उहो के नामवा साकार हो जाई ,
जाहीआ भोजपुरी आठवा सूचि में आई ,
अइसन अभागा भासा ,
बेटा सुभागा देहलस ,
जेकर ता नाम लेके ,
लोगवा ता आगे बढ़ल,
राजेंदर बाबु के ख़ुशी उहा मिल जाई ,
जाहीआ भोजपुरी आठवा सूचि में आई ,
बोले वाला एतना बेशी ,
एकरा में जान देशी ,
ना जाने काहे करे ,
दिल्ली इ अनदेखी ,
जे पि के मन उहा फूले ना समाई ,
जाहीआ भोजपुरी आठवा सूचि में आई ,

धन्य भाग अजोध्या की राम लेले अवतार ,

धन्य भाग अजोध्या की राम लेले अवतार ,
धन्य भाग समुन्दर के की रावण बसले पार ,
की बोलो जय बोलो ,की बोलो जय बोलो ,
धन्य भाईले केवट ले गईले उनके पार,
संगे सब के ले गईले भव सागर के पार ,
धन्य भाग हनुमान के आइले इनकर काम ,
धन्य भाईले सुग्रीव की मिल गईले हनुमान ,
की बोलो जय बोलो ,की बोलो जय बोलो ,
धन्य भाग अहिल्या की सीता के ओने गाव,
धन्य भाईल जनकपुर की राम के परल पाव ,
धन्य भाग ओ बाईर के जे आइल लछुमन हाथ ,
लागल शक्ति बान ता आइल उनकर काम ,
की बोलो जय बोलो ,की बोलो जय बोलो ,
धन्य भाग बा हमनी के ली ले इनकर नाम ,
इनकर नाम लेला से बने बिगरल काम ,
की बोलो जय बोलो ,की बोलो जय बोलो ,

देखि हल्ला ना करेम ता रउरा कुछ ना मिली ,

देखि हल्ला ना करेम ता रउरा कुछ ना मिली ,
चाही ता खूब चीलाई तबे ता उनकर आसन हिली ,
देखि हल्ला ना करेम ता रउरा कुछ ना मिली ,
इ बात लागु होला लाइ बेवहार में ,
हक़ खातिर लड़ी हो हल्ला करी ,
ना ता केहू राउर ना सुनी ,
रउरा के बिना कम के चीज समझ के ,
केहू पेपर वेट बना दी ,
ना ता केहू रउरा के उल्लू .
या बुरबक ठहरा दी ,
जे जेतने चिल्ला ओकर ओतने वजन बा ,
जे पिछ लग्गू बा ओकरा बारा गजन बा ,
कुछ मत करी बाकिर पर्चा बाटवा दी ,
फलना दिन के फलना ऑफिस के घेराव करे के बा ,
आपना हक़ खातिर हमनी के लड़े के बा ,
हमारा कुछु ना चाही हम रउरा लोगिन खातिर लड़ब ,
ता देखि राउर रुतबा केगन आसमान में खिली ,
देखि हल्ला ना करेम ता रउरा कुछ ना मिली ,

अब हम का कही राउए देख ली ,

अब हम का कही राउए देख ली ,
जमाना के असर भगवानो पर परत बा ,
जेकरा लगे पैसा नइखे लाइन में लागल बा ,
पैसा बा ता पंडित में मुह पर फेक दी ,
अब जाई न भीतर भगवन के नीरेख ली ,
अब हम का कही राउए देख ली ,
लोग कहत बा अब इह अंतर नइखे ,
डर से मंगरुआ के बेटी मंदिर में घुसत नइखे ,
जब कवनो हिमत कर के घुस गइल ,
भगवानो ओकरा के नइखन बचावत ,
ओकरा इजत के तार तार इ बाबा लोग करत बा ,
रवि के बात बुरा लागे रौओ पाव टेक दी ,
अब हम का कही राउए देख ली ,

अइसन सोचले ना रहनी ,

कही बम चले कही गोली ,
केहू खेले खून से होली ,
स्वर्ग में बाईठाल बापू देखे ,
हिंद में इ का हो रहल बा ,
अइसन सोचले ना रहनी ,
अइसन सोचले ना रहनी ,

खून देबा आजादी देहब ,
रहे नेता जी के नारा ,
भारत स्वर्ग से सुन्दर होखे ,
सपना रहे प्यारा ,
उहो स्वर्ग में इहे कहिअन,
अइसन सोचले ना रहनी ,
अइसन सोचले ना रहनी ,

खुद से बढ के देश से प्यार .
सहल लोग उ अत्याचार ,
सपना के साकार करेला ,
फंदा लागल फुल के हर ,
ओहू लोग के आत्मा ,
हो गइल बा परेसान ,
अइसन सोचले ना रहनी ,
अइसन सोचले ना रहनी ,

आज के नेता देश के बेचीं ,
पार्टी बाजी कर कर के ,
कहे रउरा लोग आजाद करवानी ,
देश के खातिर मर मर के ,
रवि अइसन दिन देखे के मिलल ,
मनवा भइल परेसान ,
अइसन सोचले ना रहनी ,
अइसन सोचले ना रहनी ,

आई आई रौआ के कलकाता घुमा दी ,

आई आई रौआ के कलकाता घुमा दी ,
पाहिले चली दछिनेश्वर दरसन करा दी ,
आई आई रौआ के कलकाता घुमा दी ,
उतर में दछिनेश्वरी काली लागले ब्रिज बा बाली,
दछिन में बा कालीघाट काली माई कलकाता वाली ,
अलीपुर में चली चिरिया घर दिखा दी ,
आई आई रौआ के कलकाता घुमा दी ,
मध्य कलकाता धरमताला लगाही बिक्टोरिया ,
तारा मंडल देख ली चली जादू घर के ओरिया ,
बाबु घाट के ओरी चली इडेन गार्डन दिखादी ,
आई आई रौआ के कलकाता घुमा दी ,
बहुत कुछ बाटे कलकाता में हम केतना बताई ,
मेट्रो में चढी टालीगंज दमदम ले ले जाई ,
ओही जा से एअरपोर्ट नाज्दिके बा बता दी ,
आई आई रौआ के कलकाता घुमा दी ,
नाम पर एकरा जयेम मत कर दिही परेशान,
धरमताला में धरम ना होला मिलिहे ढेर बाईमान ,
सोच समझ के चलेम रउरा ना ता केहू फसा दी ,
आई आई रौआ के कलकाता घुमा दी ,

चटिया पर दोस्त्वा बनवलस रे मीठा मीठा बतिया के ,

चटिया पर दोस्त्वा बनवलस रे मीठा मीठा बतिया के ,
हमारा के उहो भार्मवालास रे मीठा मीठा बतिया के ,
कैसे बिसवास करी कबहू ना देखनी ,
बतिया में मीठ बारान सूरत ना निरेखानी ,
मनवा के हमारो बहकावालन रे मीठा मीठा बतिया के ,
चटिया पर दोस्त्वा बनवलस रे मीठा मीठा बतिया के ,
कहेलन तहरा खातिर चाँद ले आइब ,
तोहरा के हमहू लन्दन पेरिश घुमाइब ,
मनवा के इहो गुदगुदावाल रे मीठा मीठा बतिया के ,
चटिया पर दोस्त्वा बनवलस रे मीठा मीठा बतिया के ,
चाही नाही हम उनकर से बोली ,
येही कारन हम चाट नाही खोली ,
मेसेज से आगिया लगवलन रे मीठा मीठा बतिया के ,
चटिया पर दोस्त्वा बनवलस रे मीठा मीठा बतिया के ,

नेट पे होती है बाते ,


नेट पे होती है बाते ,
फिर होती है मुलाकाते ,
यारो दिल की सुनो ,
कहता हु दोस्ती के नाते,
ये तो सुनहरा मौका ,
देता हैं (ओ बी ओ )
प्यार से मिलो और ,
प्यार में ही जिओ ,
गुरु के संग गणेश जी ,
और सतीश जी ,
पावन स्थल पटना,
मंदिर महाबीर की ,
तीनो जो हम मिले ,
दोस्ती दिल के खिले ,
लगता नहीं था यारो ,
पहली बार हम मिले ,
बरसो की दोस्ती हो ,
हो बरसो से मिलते रहे ,
दिल में बहुत हैं बाते ,
और मैं क्या कहू ,
जिस दिन होगी मुलाकाते ,
ओ दिन तो मैं गिनू ,
नेट पे होती है बाते ,
फिर कब होगी मुलाकाते ,

भूल बोली ता राउआ बोलेम,

भूल बोली ता राउआ बोलेम,
हमारा बतिया के रउरा तोलेम ,
दुगो बरका बतिआवत होखस ,
बिच में मत टपक जयेम ,
दुगो महाबली लड़त होखस ,
ओ में टांग मत आरायेम ,
केहू के झगरा मत किनेम ,
खुद के रउरा बचायेम ,
भूल बोली ता राउआ बोलेम,
जब ले पैसा लगे बाटे ,
रउरा इज्जत पायेम,
हाथ के फक्कर हो गईनि ता ,
कही से इज्जत ना पायेम ,
नून रोटी खाली राउआ .
दुःख केहू के मत बतालायेम .
भूल बोली ता राउआ बोलेम,
आपन इज्जत अपने हाथ में ,
बाटे इ जान जाई,
एकरा के ढील कईनि ता ,
जग में होई हँसाइ ,
केहू कुछु दिही ना ,
उल्टा मजाक के पात्र बन जाएम,
भूल बोली ता राउआ बोलेम,

कबहू ना मिलनी तोहके ना देखनी तबहू करीले प्यार ,

कबहू ना मिलनी तोहके ना देखनी तबहू करीले प्यार ,
नेटिये पर मिलालू बतिया जे कईलू तोहरा पर बाटे एतबार ,
लिखेलु जे कुछाऊ मनवा के भावेला करेला तोहपे एतबार .
कबहू ना मिलनी तोहके ना देखनी तबहू करीले प्यार ,
आइले नेट पर तू जे ना रहेलू ,
मनवा तरप उठे कहवा तू गइलू ,
छुट्टी के दिनवा भाइले पहार हो ,
मनवा बोलेला कब बीती इतवार हो ,
सोमवार के जब खोलिले पि सी मिलेला मेसेज तोहर ,
कबहू ना मिलनी तोहके ना देखनी तबहू करीले प्यार ,

आई मिल के बनावल जाव सुन्दर हिंदुस्तान ,

आई मिल के बनावल जाव सुन्दर हिंदुस्तान ,
पाहिले निकाल दिआव ,
आफसर साही से करप्सन ,
ओकरा बाद ,
छोट पार्टियान से छेत्रियेपन,
तब ,
नेता लोग मेसे गुंडा ,
आगे ,
पुलिस से घूसखोरी ,
बाजार से ,
मिलावट ,
इ सब कईला पर,
हिंदुस्तान आपने आप सुन्दर हो जाई ,

पईसा पईसा पईसा इ पईसा अइसन बा ,

पईसा पईसा पईसा इ पईसा अइसन बा ,
पईसा के पीछे देखि इ दुनिया भागत बा ,
पईसा पईसा पईसा इ पईसा अइसन बा ,
बीबी जबे प्यार करी जब पईसा देबा तू ,
दुनिया इ सलाम करी जब पईसा देबा तू ,
गाव नगर करी चर्चा जब पईसा देबा तू ,
पाईबा इहा इज्जत जब पईसा देबा तू ,
पईसा अब भाई भगवान के जाईसन बा ,
पईसा पईसा पईसा इ पईसा अइसन बा ,
बेटा के तू चाह बनाई डाक्टर या इंजिनियर ,
चाहे बेटी खातीर दामाद खोज तुहू डियर ,
एकरा खातीर पईसा चाही पईसा के तू चिन्ह ,
एकरा खातीर जान लगा द एकरा खातीर जीह ,
पईसा भाईया अब त इ जान के जाईसन बा ,
पईसा पईसा पईसा इ पईसा अइसन बा

चाहे जमाना बदल जाई हम तोहके चहेम हो ,

चाहे जमाना बदल जाई हम तोहके चहेम हो ,
मरते दम तक तोहे गोरिया मन में बसयम हो ,
चाहत रहा तू हमके सजनवा हम इहे त चहेम हो ,
सातो जनम हम त सजनवा तोहरे के मांगब हो,
खाई के किरिया कही ले गोरिया हम इहे चहेम हो ,
मरते दम तक तोहे गोरिया मन में बसयम हो ,
हमरा से एतना प्यार करे ला बरा डर मोहे लागेला ,
हमके भुलाइब बलमा तू त हम मार जयेम हो ,
मरते दम तक तोहे गोरिया मन में बसयम हो ,
बाबा से मोर इहे अरजिया चैन से कटे जिनिगिया ,
जैसे आज चाहत बार चाह हर दम संघतिया ,
हमारा पर बिसवास कर कबो इ ना भुलायेम हो ,
मरते दम तक तोहे गोरिया मन में बसयम हो ,
सातो जनम हम त सजनवा तोहरे के मांगब हो,

Thursday, June 17, 2010

बाबूजी रहती ता का कहती ,

बाबूजी रहती ता का कहती ,
इ सवाल हमारा मन में बार बार आवत बा ,
बात ओ बेर के हा जब हम पढ़त रहनी ,
स्कुल छोर के खुबे सिनेमा देखत रहनी ,
केहू कहलस तू केकरा से कम बार ,
कोसिस करब ता एक्टर बन जइबा,
अभी इहा केहू नइखे पूछत ,
बाद में खूब पूछाइबा ,
हमहू आव देखनी न ताव,
बोर्ड के परीक्षा डेल्ही रहनी ,
ध लेनी मुंबई के राह,
उहा भीर में भुला गईनी,
जे गाँव में हीरो लागत रहे ,
खुद के एक दम बेचारा पाईनी ,
अब हमर हालत हो गइल रहे ,
साप छुछुंदर वाला ,
अब ना गाँव जा सकेनी ,
ना एक्टर बननी पढाई बिच में लटक गइल ,
बाबूजी कहे लगनी हमर बेटा बिगर गइल ,
केहू उहा के सुझाव देहलस बिआह करा द ,
और हम सांसारिक बंधन में बाधा गईनी ,
हमारा अन्दर के एक्टर कसमसाये लागल ,
एगो डायरेक्टर हम पर नजर परल ,
उनकर फिलिम में एगो करेक्टर रहल ,
हम आइल रहनी हीरो या भिलेन बने ,
उ हमारा के हीरो के बाप बना देले ,
हमारा सपना के साकार बना देले
अब इहे सोचत बानी बाबु जी रहती ता का कहती ,

आई खेल खेलल जाव लोग के उल्लू बनावे के ,

आई खेल खेलल जाव लोग के उल्लू बनावे के ,
पाहिले हाई फाई प्रोफाइल बनाई संगे दोस्त बनावे के ,
जेतना ज्यादा हो सके ओतना बरका दिखावे के ,
सबसे बढ़िया काम होई कवनो मीडिया के अपनावे के ,
आई खेल खेलल जाव लोग के उल्लू बनावे के ,
सब से पाहिले मीडिया वाला हमके हीरो बनाई ,
चमके लगाब सितारन जैसन केहू से माखन लगवाइब ,
आपने आपे फसिहन रवि त कहेब तू रहबा गीत कर भाई ,
बोला केतना पैसा खर्चा करबा एल्बम देहब बनवाई .
बाकिर एगो सरत रही केहू के नइखे बतावे के ,
आई खेल खेलल जाव लोग के उल्लू बनावे के ,

हल्ला मचल बा चारू ओर हो गइल बाटे शोर ,

हल्ला मचल बा चारू ओर हो गइल बाटे शोर ,
बरका बरका के अब ता लोग कहत बा चोर ,
हल्ला मचल बा चारू ओर हो गइल बाटे शोर ,
कुछु करा भाई सुना आपना लोग पर रहम कर ,
छोरा लूटल उल्टा पुल्टा मेहनत से हाथ गरम कर,
तहरा पर दरमोदार रहल ह हो गिला कमजोर ,
भाई हो तू तनी बच रहिया आदत बा तहरो बिजोर ,
हल्ला मचल बा चारू ओर हो गइल बाटे शोर ,

आदमी के जंगल में आई खोजल जाओ इन्सान ,

आदमी के जंगल में आई खोजल जाओ इन्सान ,
केहू से केहू के मतलब नईखे भुलाई बा पहचान ,
आदमी के जंगल में आई खोजल जाओ इन्सान ,
मॉल बाटे रउरा लगे जीजा का साला मिल जाईहे ,
फटे हाल जे रउरा बानी केहू ता जीजा ना बनिहे ,
समय आई ता मालूम पारी के के राउर आपन बा ,
समय से बरका केहू नइखे रही ओकरे जे बचल बा ,
दोस्त बन के बैठाल बा बरका बरका नाग सामान ,
आदमी के जंगल में आई खोजल जाओ इन्सान ,

जिन्दगी एगो जुआ ह

जिन्दगी एगो जुआ ह
एकरा के खिचे के पड़ी
चाहे थक हaर के
चाहे प्यार से
चाहे मज़बूरी में
चाहे मस्ती में
चाहे अघात में
चाहे जज्बात में
इ कुछ ना समझे
इ त भगवन के बंधुआ ह
जिन्दजी एगो जुआ ह
एकरा के खिचे के पड़ी

आई भोजपुरी खातिर कुछ काइल जाव,

आई भोजपुरी खातिर कुछ काइल जाव,
केतना बढिया सोच केतना बढ़िया शब्द ,
आब सवाल उठा ता की का काइल जाव ,
भोजपुरिया भाई लोग के आपस में जोरी ,
प्यार के पाठ पढाई नफ़रत के छोरी ,
आपना भासा के जे लोग बेइजत करत बा ,
उनकरा के समझाई की इ काम छोरी ,
आई भोजपुरी खातिर कुछ काइल जाव,
केतना बढिया सोच केतना बढ़िया शब्द ,

अब ना ता कबो ना ,

अब ना ता कबो ना ,
भाई जान ला हम सही कहत बानी ,
आब ना ता कबो ना ,
आवा आवाज उठावा हम तहरा संगे बानी ,
अबकिर पिछुईला ता भाई पछ्तैबा ,
और केहू बोलबे ना करी हम खुल के कहत बानी ,
अब ना ता कबो ना ,
कवनो एगो पागल के आपन बनवाला ,
उ तहरा मति के बिगार दी ,
तहरा के जाती के नाम पर ,
देश द्रोही वाला कम करवा दी ,
आपने त मुख मंत्री या कौनो मंत्री बानी ,
तहरा के जतिबाद के चक्कर में फसा दी ,
तब तू एने के रहब ना ओने के ,
ये भाई देश के सोच ओकरा खिलाफ आवाज उठा द ,
अब ना ता कबो ना ,

का करिहन टीना संगे लीना बोली ना समझके ,

इ का गजब कर देहनी अईसन कानून बनके ,
का करिहन टीना संगे लीना बोली ना समझके ,
का इ चक्कर पपुलेसन के कम करावे वाला बा ,
इ त कौनो पढ़ल लिखल भइल दिमाग दिवाला बा ,
पार्क में माहौल बिगर जाई त का करी पुलिस आ के ,
का करिहन टीना संगे लीना बोली ना समझके ,
अमर के जब प्यार हो जाई उ लालन के पुच्करियन ,
इ देख के ललिता बबिता खुद के ना सवारिहन .
पंडित जी जब पतरा लेके कुंडली चलिहे मिलावे ,
लाईका बोली छोरी इ सब रउरा लगे लाईका बावे ,
पंडित जी चकरा जाईहान इ दुल्हिन या दुल्हाके ,
का करिहन टीना संगे लीना बोली ना समझके ,

काल्ह उनकरा से मुलाकात होई ,

एगो भाई के बीआह ठीक हो गइल गाव से फोन आइल की लइकी कोलकाता में रहे ले ओ लोग के एतराज नइखे तू जाके देख सके ला उ लोग लइकी के बाप के फोन नंबर देलाख लोग इ बात कईलान उ लोग काल आवे के कह देहलस अब इनकार हालत का भइल इहा देखि ......

कईसे कटी रात कब भोर होई ,
काल्ह उनकरा से मुलाकात होई ,
मन में बसल बाटे अइसन सुरतिया ,
ना देखले बानी कईसन बारी संघतिया ,
समझ में ना आवे उनसे का बात होई ,
काल्ह उनकरा से मुलाकात होई ,
फोनवा करी इहो मन कहात बाटे ,
अउरु इ चाहे आजे मिली जाके ,
मिलिहन त कहब मनावा के बतिया ,
देखनी ना तबो बसल आख में सुरतिया ,
आज सपना में उन्कारो साथ होई ,
काल्ह उनकरा से मुलाकात होई ,,
सपना में सजनी आइसे तू आव ,
आव आव रानी हमारा मनवा में आव ,
उनके देखे खातीर मन के समझाई ले ,
भगवान से हमहू इहे गोहराइ ले ,
सुनिहन प्रभु तब मौसम साफ होई ,
काल्ह उनकरा से मुलाकात होई ,