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Saturday, August 28, 2010

मन में आनंद भयो माँ की बर्णन में ,

मन में आनंद भयो माँ की बर्णन में ,
अंग अंग खिल गयो माँ की दर्शन में ,
तुने बुलाया माँ द्वार तेरे आया - द्वार तेरे आया माँ द्वार तेरे आया,
मन को सकून मिला तेरे चरनन में ,
अंग अंग खिल गयो माँ की दर्शन में ,

तुही हैं अम्बा माँ तुही जगदम्मा ,
भक्तो की रक्छा करनेवाली अम्बा ,
भक्तो पे अपने माँ करना तू दया - करना तू दया माँ करना तू दया ,
माँ अब भर दे तू भक्ति मेरे मन में ,
अंग अंग खिल गयो माँ की दर्शन में ,

तेरे तो चाहने वाला माँ जगदम्मा ,
हो नहीं सकता ओ कभी निकमा ,
मन में माँ तू यैसी ज्ञान भर दे - यैसी ज्ञान भर दे माँ यैसी ज्ञान भर दे ,
की गुरु बिताये दिन तेरे चरनन में ,
अंग अंग खिल गयो माँ की दर्शन में ,

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