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Saturday, October 22, 2011

पागल मन बाऊराय हैं कोई इसे समझाय ,
बीत गया जो समय बहुरि कभी ना आये ,
.
जिसकी जो गति वो लिखा वही बना तक़दीर ,
होनी तो होके रहेगी सहज हो या गंभीर ,
.
दुःख से घबराओ नहीं हैं दुःख सुख के आधार,
दुःख से जित जावोगे बदलो नहीं बेवहार ,
.
बात जो मन को लगे तू ना किसी को बोल ,
चाहिए जो प्यार तुझे सोच समझ मुह खोल ,
.

नारी की इज्जत करो ना देखो बन बेईमान ,
कन्या हैं दुर्गा रूपी और ब्याही माँ समान ,
.
जो करो मन से करो जो भी मन को भाय,
उसको ही सच मानिये जो जग होत सुखाय ,
.
जो सोया वो खो दिया जागे सब कुछ पाय ,
जो पर में सुख ढूंढे अपना लिया बनाय ,