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Monday, September 5, 2011

गुरु

गुरु
एक यैसा शब्द ,
जिसे सुनते ही ,
हाथ जुड़ जाते हैं ,
सर झुक जाते हैं ,
पाव रुक जाते हैं ,
और मुख से ,
निकलता हैं ,
बस एक ही शब्द ,
प्रणाम सर ,

उनके आदर्शो को याद कर ,

उनके आदर्शो को याद कर ,
आइये हम सब मिलकर ,
झूठ ही सही जीवन में उतर लें ,
आज शिक्षक दिवस मना लें ,
ये औपचारिकता ही सही पर ,
वाह-वाही उठाले एक गोष्टी कर ,
उनके आदर्शो को याद कर ,
आइये हम सब मिलकर ,
.
आज सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म दिन ,
उनके आदर्श व आचरण पे चर्चा के दिन ,
आज के शिक्षक जो लगे हैं ,
पैसे के लिए आदर्श में नंगे हैं ,
आचरण उनकी देख समझकर ,
बच्चे भला समझते दूर रहकर ,
उनके आदर्शो को याद कर ,
आइये हम सब मिलकर ,
.
गुरु की गरिमा धूमिल करते ,
छात्र - छात्राओ को ये कहते ,
कभी शारीरिक कभी मानसिक ,
मिटा रहे ये धरातल वास्तविक ,
ये नीचता को आदर्श बनाकर ,
इनके अन्दर का शैतान मिटाकर ,
उनके आदर्शो को याद कर ,
आइये हम सब मिलकर ,