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Friday, June 18, 2010

एक दिन एगो चौराहा पर गाँधी जी से भेट हो गइल ,

एक दिन एगो चौराहा पर गाँधी जी से भेट हो गइल ,
उनकर हालत देख के हमारा बारा अचरज भइल ,
उनकर धोती फाटल रहे,
ठेहुना पर चोट लागल रहे ,
हम पूछनी बापू इ कैसे हो गइल ,
उनकरा आख से आसू आ गइल ,
रोआत रोआत उ हमसे ,
हाथ जोर के कहले ,
बाबुआ जगह जगह से ,
हमार मूर्ति हटवा द पाहिले ,
हम कहानी काहे ,
इ ता रौआ इयाद में लागल बा ,
ता उ कहले ,
चिरैया बीट करत बारीसन ,
ता काहे ना लोग झारत बा ,
उनकर बात सुन के हमार मन खामोश हो गइल ,
फिर सोचनी की कुछ कही बाकिर आख खुल गइल .
हमारा बुझाईल उ सब बिटवा झारे में चोट आ गइल
एक दिन एगो चौराहा पर गाँधी जी से भेट हो गइल ,

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