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Thursday, June 17, 2010

बाबूजी रहती ता का कहती ,

बाबूजी रहती ता का कहती ,
इ सवाल हमारा मन में बार बार आवत बा ,
बात ओ बेर के हा जब हम पढ़त रहनी ,
स्कुल छोर के खुबे सिनेमा देखत रहनी ,
केहू कहलस तू केकरा से कम बार ,
कोसिस करब ता एक्टर बन जइबा,
अभी इहा केहू नइखे पूछत ,
बाद में खूब पूछाइबा ,
हमहू आव देखनी न ताव,
बोर्ड के परीक्षा डेल्ही रहनी ,
ध लेनी मुंबई के राह,
उहा भीर में भुला गईनी,
जे गाँव में हीरो लागत रहे ,
खुद के एक दम बेचारा पाईनी ,
अब हमर हालत हो गइल रहे ,
साप छुछुंदर वाला ,
अब ना गाँव जा सकेनी ,
ना एक्टर बननी पढाई बिच में लटक गइल ,
बाबूजी कहे लगनी हमर बेटा बिगर गइल ,
केहू उहा के सुझाव देहलस बिआह करा द ,
और हम सांसारिक बंधन में बाधा गईनी ,
हमारा अन्दर के एक्टर कसमसाये लागल ,
एगो डायरेक्टर हम पर नजर परल ,
उनकर फिलिम में एगो करेक्टर रहल ,
हम आइल रहनी हीरो या भिलेन बने ,
उ हमारा के हीरो के बाप बना देले ,
हमारा सपना के साकार बना देले
अब इहे सोचत बानी बाबु जी रहती ता का कहती ,

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