Search This Blog

Thursday, August 4, 2011

अब मेरे ख्वाबो को जीने दो ,

अब मेरे ख्वाबो को जीने दो ,
बचपन खेलने को तरस गया ,
हाथो में किताब पड़ने से ,
जवानी कर्मो में गुजर गया ,
और आगे बढ़ने में ,
पूरा चला ढाई कोस ,
वही कहावत हो गई ,
इस पड़ाव पे मन ने ,
ख्वाबो को जगाया हैं ,
अब मुझे मत परेशान करो ,
अब मेरे ख्वाबो को जीने दो ,

No comments:

Post a Comment