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Thursday, August 4, 2011

कैसे कहू मैं दिल की ..

कैसे कहू मैं दिल की ......
दिल में ही रह गई .
ख्वाब अधुरा रह गया ,
ख्वाबो पे छुरी चल गई ,
कैसे कहू मैं दिल की ......
दिल में ही रह गई .
बालपन की मन में ब्यथा ,
तन सयानी हो गई ,
लोगो की नजरो में आना ,
जवानी दुश्मन हो गई
कैसे कहू मैं दिल की ......
दिल में ही रह गई .
अपने होते ख्वाबें होती ,
मन की मुरादें मिल जाती ,
अपनों ने जो दगा किया ,
जिगर ये छलनी कर गई ,
कैसे कहू मैं दिल की ......
दिल में ही रह गई .

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