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Thursday, August 4, 2011

उम्र के इस पड़ाव पर

१.
उम्र के इस पड़ाव पर
खड़ा हूँ ये सोच कर
क्या खोया क्या पाया
समझूँ सबकुछ देख कर
वही पर हूँ
जहाँ पर था
उस समय भी
मैं ही था
आज भी हूँ
उस समय
मैं बालक था
लड़कपन और ठिठोली करता
आज भी हूँ
वही बालक
मगर अंतर हैं
तब वो पुत्र था
आज ये पिता है.


२.
मैं स्कूल नहीं जाऊँगा ,
जब ये शब्द मुझे याद आते हैं
कसम से
बहुत याद आते हैं.
दीदी कहती थी चौकलेट दूँगी
चल स्कूल, तेरा बैग मैं ढोऊँगी
तब मैं
क्या-क्या नहीं सुनाता था
बहाने खूब बनाता था
हरदम पेट में दर्द रहता था
आजभी उस दर्द को बहुत महसूस करता हूँ.
पागलपन वो सारा कैसे भुलाऊँगा

मैं स्कूल नहीं जाऊँगा
मैं कैसे सब भुलाऊँगा ??

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