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Thursday, August 11, 2011

"भाई बहिन चालीसा"
सावन के मास आइल जब इ मन में करी बिचार ,
अईहान भईया हमारो अब रह गइल दिन चार ,
फोन करी हम बोलनी इ पावन तेवहार ,
आके हमसे मिलहु देखिले राह तोहर ,

ये भईया तू गुनी आगर ! तुही बाड़ प्रेम के सागर !!
भाई तू अतुल्य सब जाना ! हमारे भाई अमन हैं नामा !!
देखा आइल सावन सतरंगी ! तुही हमर बचपन के संगी !!
तोहसे मिलल भइल बरिसा ! एबार कर रुख येही दिसा !!
हाथ में लिए राखी ताकें ! हर पल हम राह पर झाके !!
भाई तोहसे बा इतना बंदन ! आ जईहा जहिया रक्षा बंधन !!
बाड़ तू गुनी बड़ चातुर ! आवा मिले तुहू होके आतुर !!
माई बाबूजी के सुनिह बतिया ! भउजी के रहीहा मन बसिया !!
थोडा सा मोह हमपे दिखावा ! मन करे जबे मिले आवा !!
गावं से अच्छा क्या शहर तुम्हारे ! आकर देखो गावं हमारे !!
बचपन आप यही पे बिताये ! बाबूजी रहते उर से लगाये !!
बालपन में हुई खूब बराइ ! तुम हो मेरे भोले भाई !!
पूरा गावं तोहरे जस गावे ! इहे बोली मुखिया सीना लगावे !!
गणित बिज्ञान नाही तुमसा ! हिंदी में नही थे हमसा !!
बिगन मगरू बेहाल इहा के ! बोला समाचार उहा के !!
तू उपकार बिगन पे कईला ! बीस साल भइल लंगर भईला !!
तोहर बात मंगरू ना मनले ! आजीवन पछतात उ रहले !!
रोपल रहे खेत में आलू ! वो के कोड़त रहे भोलवा चालू !!
फिर तू बसल शहर में जाई ! बाड़ उहा अब सभ के भुलाई !!
काम बढिया पईला तुहू जाते ! बड़का भईला उहा तुहू कमाते !!
तोहरे दुआरे बा कुत्ता रखवारे ! घुसे ना कोई बिना पुकारे !!
तहरा घर में सब सुख साधन ! लक्ष्मी झरे ली तोहरा आँगन !!
अपना में तू बाड़ आपे ! तहरा के देख बड़लोग कापे !!
पुलिस वाला निकट नही आवे ! तोहर नाम जे केहू बतावे !!
धाईले बा रोग पावत बाड़ पीड़ा ! रोग बड़ा भईल गंभीरा !!
संकट में डाक्टर बचावे ! तन मन धन सेई लगावे !!
बहुत कमइला बनला राजा ! अब त बाबु तू घरे आजा !!
गावं में तुहू पईसा लाव ! एगो बढ़िया अटारी बनाव !!
चारो ओर होई नाम तोहर ! होई प्रसिधी येहर ओहार !!
गरीबन के बना रखवाला ! तोह्पे खुश होई ऊपर वाला !!
सबसे सुन्दर तू हमार भ्राता ! तहरा लगे बाड़ी लक्ष्मी माता !!
कईनि ह फोन लागल बा आशा ! आइबा तुहू येही सावन मासा !!
तोहरे दरस भईया हम पाई ! जिअब उम्र दस बरस बढाई !!
एक बार तू मिलता आई ! खुश हो जाईत इ मन भाई !!
आउर कुछ चित में नइखे धरत ! आ जाईत कईसहु कुछ करत !!
मिलबा त मिट जाई सब पीरा ! चर्चा होई बहुत गंभीरा !!
जै जै जै हनुमान गोहराई ! करती कुछ जे भाई चली आई !!
तहरो सत बार पूजा होई ! फफक के अब हमहू रोईं !!
बीते ना येही सावन महिना ! भाई के मोरे सन्मुख कर दिना !!
रवि गुरु के माफ़ करना ! हरदम मेरे साथ में रहना !!

पावन महिना सावन भर पूजा करू मन लाई !
राखी के दिन सामने प्रभु रहे हमारा भाई !!

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